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न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Updated Sun, 15 Nov 2020 11:12 AM IST
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डॉ. आचार्य सुशांत राज ने बताया कि मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों इंद्र के प्रकोप से बचाया था और देवराज के अहंकार को नष्ट किया था। भगवान कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाया था।
तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा आरंभ हुई। गोवर्धन पूजा, इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली से अगले दिन मनाया जाने वाला यह पर्व इस बार 15 नवंबर को यानि आज है। हर साल यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होता है। जिसमें गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है।
इस पर्व में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत ही नहीं बल्कि गाय का चित्र बनाया जाता है व संध्याकाल में इसकी विधि विधान से शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है। इस दौरान गोवर्धन व गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
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